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Nayati cardiac science successfully operate Blue Baby Syndrome 6 year old child
आगरालीक्स….. ‘‘ब्ल्यू बेबी सिंड्रोम’’ से पीडित छह साल के बच्चे की पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी के साथ ही नयति मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, मथुरा में सेंटर फाॅर कार्डियक साइंसेज की शुरुआत की गई। उत्तर प्रदेश में नयति हेल्थकेयर की यह बडी शुरूआत है। यहां इनवेसिव एवं नाॅन-इनवेसिव कार्डियक सर्जरी की सुविधा उपलब्ध होगी। साथ ही विशेषज्ञ चिकित्सक ह्रदय रोगियों की डायग्नोसिक और इलाज अत्याधुनिक तकनीक से कर सकेंगे।
नयति मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के सेंटर फाॅर कार्डियक साइंसेज में ह्रदय रोगियों को अत्याधुनिक तकनीकी और विशेषज्ञ चिकित्सकों से इलाज मिल सकेगा। मंगलवार को फीरोजाबाद में हॉस्पिटल की टीम ने 6 साल के एक बच्चे और 8 साल की एक बच्ची की सफलपीडियाट्रिक कार्डियोसर्जरी के अनुभव साझा किए। पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जन ने बताया कि 6 साल का बच्चा ‘‘ब्ल्यू बेबी सिंड्रोम’’ से पीड़ित था। वहीं 8 साल की बच्ची दिल में कई छिद्र (टैक्) के साथ डेक्सट्रोकार्डिया साइटस इनवर्सेस से पीड़ित थी और उसे पल्मोनरी हाइपरटेंशन की बीमारी भी थी। यहां दोनों की जटिल सर्जरी की गई है।
बच्चे का रंग पड गया था नीला
मथुरा के 6 साल के बच्चे ब्ल्यू बेबी सिंड्रोम’’ था। उसे जब नयति में लाया गया था तो उसके हाथों, पांव और मुंह के अंगों का रंग बदलकर नीला पड़ चुका था। वह 3 महीने का था, वह रोता था तो उसके अंगों का नीलापन बढ़ जाता था। जब उसे बैठाया जाता था, तो उसे कुछ राहत मिलती थी। इस बच्चे में विकास न होने के संकेत भी मिल रहे थे। बच्चे की उम्र एक साल होने के बाद से माता-पिता उसे दिल्ली-एनसीआर के कई अस्पतालों में लेकर गए थे।
उसे कई बार अस्पतालों में भर्ती किया गया था, लेकिन किसी न किसी वजह से आॅपरेशन टाल दिया गया था। जब उसे नयति में लाया गया था, तो उसके अंगों का रंग काफी नीला पड़ गया था यानी वह गंभीर सायनोसिस से पीड़ित था, हीमोग्लोबिन का स्तर बहुत ज्यादा था और बार-बार सायनोटिक दौरे पड़ते थे (अंगों का रंग बदलकर नीला पड़ना और गाढ़ापन 70 प्रतिशत तक पहुंच जाना)। तुरंत ही मरीज के दिल के अंदर के
हिस्सों को ठीक करने का कदम उठाया गया और 6 अप्रैल 2016 को आॅपरेषन किया गया।
बाद अंगों के नीला पड़ जाने की समस्या में सुधार हुआ और आॅपरेशन के कुछ ही घंटों के बाद मरीज को वेंटिलेटर सपोर्ट से हटा लिया गया था। दो दिनों से भी कम समय में मरीज को आईसीयू से बाहर भेज दिया गया था और 6 दिनों में वह अस्पताल से छुट्टी पाने के लिए तैयार था।
बच्ची का दिल था दांई तरफ
11 अप्रैल को डाॅ वेणुगोपाल राम राव के नेतृत्व में हृदय शल्य चिकित्सकों के दल ने आगरा
की 8 साल की बच्ची का आॅपरेशन किया। इस बच्ची के सीने में बाईं तरफ के बजाय दिल दाईं ओर होता है, लीवर बाईं ओर होता है और स्प्लीन यानी तिल्ली दाईं ओर होती है। अगर कुछ और दिनों तक स्थिति जस की तस रहती तो फिर आॅपरेश न करना ही संभव नहीं होता।
नयति सेंटर फाॅर कार्डियक साइंसेस के चेयरमैन डाॅ. वेणुगोपाल राम राव ने कहा, ‘ उत्तर भारत
में कुछ गिने-चुने केंद्रों में ही इस तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं और पीडिएट्रिक कार्डियक
सर्जिकल वर्क की सफलतापूर्वक शुरूआत करने के साथ ही नयति सेंटर फाॅर कार्डियक साइंसेज
भी इस समूह में षामिल हो गया है। इस तरह के मामले में सफल प्रबंधन के लिए बेहतर
डायग्नोसिस और त्वरित उपचार बहुत महत्वपूर्ण होता है। अब मरीज को ऐसी जटिल बीमारियों के उपचार के लिए दिल्ली-एनसीआर की यात्रा करने की जरूरत नहीं होगी। नयति कार्डियक
साइंसेज सेंटर बच्चों से लेकर बुजुर्गों के मरीजों का आॅपरेशन करने में सक्षम है।’