Agra Police announce Rs 25000 reward on Former Minister grand
Jat agitation spread to Agra region as protesters block express way
आगरालीक्स ….जाट आरक्षण के लिए चल रहा उग्र आंदोलन आगरा रीजन में पहुंच गया है। आंदोलनकारियों ने यमुना एक्सप्रेस वे और आगरा दिल्ली हाईवे पर जाम लगा दी। एक्सप्रेस वे पर उन्होंने बैठक की और सडकों पर बैठ गए। इससे वाहनों की लंबी लाइन लग गई। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी लोगों को समझाने में लगे रहे, उनके साथ महिलाएं भी थी। उनका ज्ञापन लेने के बाद दोपहर में एक्सप्रेस वे खुल सका।
रविवार सुबह आस पास के गांव के जाट जुबली पार्क मथुरा स्थित भाजपा के कार्यालय पहुंचे। यहां प्रदर्शन करने के बाद भारतीय किसान यूनियन और रालोद पदाधिकारियों के साथ जाट समाज के लोग राया कट से एक्सप्रेस वे पर पहुंच गए और सडक पर बैठ गए। इससे यातायात रुक गया और वाहनों की लंबी लाइन लग गई। वहीं, आंदोलनकारियों का एक ग्रुप दिल्ली आगरा हाईवे पर चंद्रलेखा काम्प्लेक्स के पास पहुंच गया और जाम लगा दिया।
2006 से चल रही जाट आरक्षण की मांग
सबसे पहले जाटों ने आरक्षण की मांग 24 नवंबर 2006 को गाजियाबाद के वसुंधरा में आयोजित जाट महासम्मेलन में की थी। यहीं से जागृति अभियान की शुरुआत की गई और इसके बाद गांव-गांव जाकर संगठन बनाने और बैठकों का दौर शुरू हुआ किया गया।
24 नंबवर 2007 को खरड़ मुज्जफरनगर यूपी में दूसरा जाट महासम्मेलन हुआ और इसमें देशभर से जाट जुटे। इस एक साल में ये बिरादरी तय कर चुकी थी कि आरक्षण के लिए लड़ाई कठिन होगी और 20 दिसंबर 2008 को मेरठ में जाट आरक्षण राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन किया गया। यहां यशपाल मलिक को इसकी कमान सौंपी गर्इ।
8 फरवरी-2009 को मेरठ में जाट महासम्मेलन में कई राजनीतिक दलों के लोग पहुंचे और सभी ने आश्वासन दिया कि वह आरक्षण दिलाने में मदद करेंगे। इसके बाद से ये आंदोलन और तेज हो गया। गांवों के युवा भी इस आंदोलन में भाग लेने लगे।
8 फरवरी 2010 को जाटों ने दिल्ली के रामलीला मैदान से मार्च निकाला, जाेकि सोनिया गांधी के आवास तक गया। यहां केंद्र और राज्य दोनों जगह पर आरक्षण की मांग की जा रही थी। हरियाणा में भी अब आंदोलन चरम पर था।
11 मार्च 2010 को चंडीगढ़ में जाट महारैली का आयोजन हुआ। इसमें हरियाणा, पंजाब व जम्मू कश्मीर के प्रतिनिधि शामिल हुए और उग्र आंदोलन की बात तय की गई।
20 अप्रैल 2010 से देशभर में 40 जगहों पर जाट चेतावनी रैलियां की गई।
13 जून 2010 को मुरादनगर की गंगनहर से दिल्ली जाने वाला पानी रोक दिया। 28 जुलाई 2010 को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान हंगामा करने की चेतावनी दी। इसके बाद सरकार ने आंदोलन को गंभीरता से लिया।
29 अगस्त 2010 को स्वर्ण मंदिर परिसर से जाट संकल्प यात्रा निकाली गई और 13 सितंबर को सोनीपत में विशाल प्रदर्शन किया गया। देशभर में 62 जगहों पर जाटों ने रेलवे लाइन और नेशनल हार्इवे पर जाम लगाकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान हिसार में प्रदर्शन के दौरान सुनील नाम के युवक की मौत हो गई। जाट उग्र हो गए।
21 सितंबर को कॉमनवेल्थ गेम्स हेडक्वार्टर पर जाटों ने कब्जा करने की कोशिश की। सरकार के भरोसे मार्च 2011 में फिर से रेल रोको आंदोलन का ऐलान की दिया। 5 मार्च को हरियाणा, पंजाब, यूपी और राजस्थान में 15 जगह रेलवे ट्रैक जाम किए। रेल रोको आंदोलन के दौरान 23 मार्च 2011 को विजय कडवासना की मौत हो गई। इसके बाद हरियाणा सरकार ने आंदोलनकारियों से बात शुरू की।
25 मार्च 2011 को हरियाणा के तत्कालीन सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा से बात हुई। इसके बाद यह आंदोलन रोक दिया गया। आरक्षण पर सरकार गंभीर नहीं हुई तो 13 सितंबर 2011 को जाटों ने सुनील श्योराण का शहादत दिवस मनाया और रैली निकालकर 19 फरवरी 2012 तक का अल्टीमेटम दिया।
28 सितंबर 2011 को केंद्र ने आरक्षण पर सहमति जताई और आंदोलन थम गया। हरियाणा में अब भी आरक्षण नहीं मिला तो 19 फरवरी को मय्यड हिसार से दोबारा आंदोलन शुरू किया गया।
23 फरवरी 2012 को राजस्थान सरकार और जाटों में बातचीत के बाद आरक्षण पर सहमति मिली।
8 मार्च 2012 को आंदोलन के दौरान संदीप कडवासरा की मौत हो गई और आंदोलन उग्र हो गया। लगातार चले हंगामे के बाद तीन दिन के बाद 11 मार्च को सरकार ने आरक्षण देने को राजी हो गई।
24 जनवरी 2013 को हरियाणा में जाटों को दस फीसदी आरक्षण दे दिया गया। केंद्र में आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन चलता रहा।
10 मई 2013 को पीएमओ के मंत्री वी. नारायण सामी ने जाटों को केंद्र में भी आरक्षण का आश्वासन दिया।
19 दिसंबर 2013 को केंद्र ने 9 राज्यों के जाटों की मांग पर सुनवाई कर 2 मार्च 2014 को केंद्र ने 9 राज्यों के जाटों को केंद्र में आरक्षण की घोषणा कर दी।
सुुप्रीम कोर्ट ने यूपीए सरकार की ओर से दिए गए जाट आरक्षण को खत्म कर दिया था। इसके बाद फिर से जाटों ने गांव—गांव जाकर यूपी और हरियाणा में पकड़ बनाई और इस बार जाट आरपार की लड़ाई के मूड़ में सड़कों पर उतर चुके हैं।