Indo-German Morpheus Uma International IVF centre open at Sarkar Nursing Home Agra
आगरा में हर रोज एक टेस्ट टयूब बेबी का जन्म
सरकार हॉस्पिटल में खुला मोरफियस उमा इंटरनेशनल आईवीएफ सेंटर
आगरालीक्स.. आगरा में हर रोज टेस्ट टयूब बेबी का जन्म हो रहा है, ऐसे में इंडो जर्मन मोरफियस उमा इंटरनेशनल आईवीएफ सेंटर का सरकार सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में शुभारंभ हुआ। यहां डॉक्टरों की टीम सस्ती दर पर अच्छे रिजल्ट का दावा कर रही है।
बुधवार को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सरकार सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली गेट पर पदमश्री डॉ डीके हाजरा ने इंडो जर्मन मोरफियस उमा इंटरनेशनल आईवीएफ सेंटर का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में नई तकनीकी आ रही हैं, इनका लाभ आम लोगों तक पहुंचे और इलाज महंगा भी ना हो, यह सेंटर उसका उदाहरण है। डॉ देवाशीष सरकार ने बताया कि जर्मन की कंपनी मोरफियस आईवीएफ में अत्याधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल कर रही है, उसके साथ मिलकर मोरफियस उमा इंटरनेशनल आईवीएफ सेंटर शुरू किया गया है। यहां आपको दो अटेंम्प्ट के लिए 1 .2 लाख रुपये खर्च करने होगें, पहले अटेंम्प्ट के लिए दवाओं का खर्चा भी नहीं देना होगा।
यह आगरा के साथ ही आस पास के क्षेत्र के लोगों के लिए उम्मीद की किरण हैं, जो बांझपन का शिकार हैं और अपने खुद का बच्चे का सालों से इंतजार कर रहे हैं। एसएन के स्त्री रोग विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ वरुण सरकार ने कहा कि बांझपन की समस्या तेजी से बढी है, नई तकनीकी से सभी समस्याओं का समाधान संभव है। इस दौरान शहर के डॉक्टर मौजूद रहे।
पहली टेस्ट टयूब बेबी बन चुकी है मां
25 जुलाई 1978 को ग्रेट ब्रिटेन में लेज़्ली ब्राउन ने दुनिया के पहले टेस्ट ट्यूब बेबी को जन्म दिया था। इस बेबी का नाम है लुइज़ जॉय ब्राउन। इनके पिता का नाम है जॉन ब्राउन। इनके माता-पिता के विवाह के नौ साल बाद तक संतान नहीं होने पर उन्होंने डॉक्टरों से सम्पर्क किया। डॉक्टर रॉबर्ट जी एडवर्ड्स कई साल से ऐसी तकनीक विकसित करने के प्रयास में थे, जिसे इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन कहा जाता है। डॉक्टर एडवर्ड्स को बाद में चिकित्सा विज्ञान का नोबेल पुरस्कार भी दिया गया। टेस्ट ट्यूब बेबी लुइज़ 39 वर्ष की हैं और वे एक बच्चे की माँ हैं। उनके बेटे का नाम केमरन है, जिसकी उम्र पाँच साल है। लुइज़ का विवाह सन 2004 में वेस्ली मलिंडर से हुआ था। और 20 दिसम्बर 2006 को केमरन का जन्म सामान्य तरीके से हुआ।
टेस्ट टयूब में निषेचित और गर्भ में पलता है शिशु
इस तकनीक में महिला के अंडाशय से अंडे को निकालकर उसका संपर्क द्रव माध्यम में शुक्राणुओं से कराया जाता है.महिला को हार्मोन सम्बंधी इंजेक्शन दिए जाते हैं ताकि उसके शरीर में अधिक अंडे बनने लगें. इसके बाद अंडाणुओं को अंडकोष से निकाला जाता है और नियंत्रित वातावरण में महिला के पति के शुक्राणु से उन्हें निषेचित कराया जाता है. इसके बाद निषेचित अंडाणु को दो से पांच दिन बाद महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है. नौ महीने तक गर्भ में ही शिशु पलता है।