New toll rates released for Agra-Lucknow, Purvanchal and Bundelkhand Expressway,
Gastro Cancer Surgeon DR Himanshu Yadav awareness campaign at Rainbow Hospital, Agra
आगरालीक्स …कैंसर के आगे भी जिंदगी है, आगरा के गेस्ट्रो कैंसर विशेषज्ञ डा. हिमांशु यादव का कहना है कि अब दूरबीन विधि पेट के कैंसर से ग्रसित मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है। रविवार को रेनबो हॉस्पिटल में आयोजित नि:शुल्क पेट के कैंसर परामर्श शिविर में मरीजों को जानकारी दे रहे थे। लेप्रोस्कोपी सर्जरी से पित्त की थैली से पथरी को निकाला जाता रहा है। अब शहर में मरीज का पेट चीरे बगैर पेट के कैंसर का इलाज भी संभव है। सिकंदरा स्थित रेनबो हॉस्पिटल में यह सर्जरी मरीजों के लिए वरदान बन रही है। पेट के कैंसर के लिए ज्यादातर ओपन सर्जरी होती है। ऐसे में खास बात यह है कि दूरबीन विधि की सहायता से मरीज को ज्यादा परेशानी नहीं होती। सर्जरी के बाद पांच से छह दिनों में अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। रविवार को सिकंदरा स्थित रेनबो हॉस्पिटल में कैंसर से ग्रस्त मरीजों के लिए गेस्ट्रो कैंसर विशेषज्ञ डा. हिमांशु यादव ने एक नि:शुल्क ओपीडी आयोजित की। इस शिविर में आहार नली, छोटी आंत, बड़ी आंत, मलाशय व गुदानाल के कैंसर से ग्रस्त मरीजों के साथ ही पित्त की थैली, पित्त की नली, लिवर व पेंक्रियाज के जटिल कैंसर रोगियों को नि:शुल्क परामर्श दिया गया। डा. हिमांशु ने बताया कि पूर्व में कैंसर से जुड़ी जटिल सर्जरीज के लिए सामान्यत: मरीज को उपचार के लिए बाहर जाना पड़ता था, लेकिन अब मरीजों को बाहर जाने की जरूरत नहीं है। रेनबो हॉस्पिटल में उनके द्वारा पेट के कैंसर से जुड़ी जटिल सर्जरीज दूरबीन विधि से की जा रही हैं। डा. हिमांशु ने बताया कि कैंसर के मरीजों की संख्या में पिछले एक दशक में तीन गुना तक बढ़ोत्तरी हुई है। इसकी वजह है बिगड़ी जीवनशैली, खान-पान, तनाव और प्रदूषण। रेनबो हॉस्पिटल के निदेशक डा. नरेंद्र मल्होत्रा ने मरीजों को कैंसर के उपचार और रोकथाम पर जानकारी दी, साथ ही उन्होंने रेनबो हॉस्पिटल के अत्याधुनिक कैंसर सेंटर में उपलब्ध सुविधाओं के बारे में भी जानकारी दी।
200 मरीजों को मिला नि:शुल्क परामर्श
अस्पताल परिसर में सुबह 11 से रात आठ बजे तक आयोजित शिविर में करीब 200 मरीजों ने नि:शुल्क परामर्श प्राप्त किया, साथ ही जांचों का भी लाभ लिया। उन्हें कैंसर के क्षेत्र में नवीनतम शोध एवं इलाज की नई पद्धतियों पर जानकारी दी गई।
‘फास्ट ट्रैक प्रोटोकॉल’ का इस्तेमाल
विशेषज्ञों ने बताया कि ऐसे मरीजों का इलाज करने के लिए फास्ट ट्रैक प्रोटोकॉल का इस्तेमाल किया जाता है। इससे आॅपरेशन के बाद घाव भरने में मदद मिलती है। लिवर व पेंक्रियाज के जटिल आॅपरेशन भी अब सफलतापूर्वक हो सकते हैं। ऐसे मरीजों में कैंसर का आकार कीमोथैरेपी व रेडियोथैरेपी से छोटा करनके कुछ समय बाद आॅपरेशन से कैंसर को पूरी तरह निकाल दिया जाता है।
क्या हैं फायदे?
– पेट पर बहुत छोटा सा चीरा लगाया जाता है।
– मरीज को दर्द बहुत कम सहना पड़ता है।
– इस आॅपरेशन में खून ज्यादा नहीं बहता।
– अस्पताल से जल्दी छुट्टी मिल जाती है।
– आॅपरेशन के बाद घाव जल्द भर जाता है।
– आॅपरेशन के बाद संक्रमण का खतरा कम होता है।
– इस विधि से आॅपरेशन का खर्च भी अधिक नहीं है।