Flying Sikh Milkha Singh Flag off Sharda Taj Marathon in Agra
आगरालीक्स …..वेलेंटाइन डे पर आगरा के जोश को देखकर उडन सिख मिल्खा सिंह स्टेच पर पहुंचे, वे बोले मिल्खा सिंह का सबको नमस्कार और प्यार, कुछ ऐसा हुआ कि वे मंच से नीचे उतरे और दिल्ली रवाना हो गया। 21 किलोमीटर की ताज मैराथन के विजेता केन्या के सैमुअल वेतका रहे, उन्होंने एक मिनट में 21 किलोमीटर की दौड पूरी की। महिला वर्ग में नागपुर की ज्योति चौहान ने एक मिनट 16 सेकेंड में 21 किलोमीटर की दौड पूरी कर प्रथम स्थान प्राप्त किया। इन दोनों को 51 51 हजार रुपये का चेक देकर सम्मानित किया गया।
सुबह सिकंदरा पर उडन सिख मिल्खा सिंह, केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ राम शंकर कठेरिया, मंडलायुक्त प्रदीप भटनागर और डीएम पंकज कुमार ने ताज मैराथन को हरी झडी दिखाई। यहां से एमजी रोड, यमुना किनारा, कंपनी गार्डन, प्रतापपुरा होते हुए मैराथन एकलव्य स्पोटर्स स्टेडियम पर जाकर समाप्त हुई। यहां केन्या के सैमुअल और नागपुर की ज्योति ने सबसे कम समय में दौड पूरी की। एक के बाद एक खिलाडी स्टेडियम पहुंचते गए और नौ बजे तक स्टेडियम खचाखच भर गया। हजारों लोगों की भीड के बीच मिल्खा सिंह साढे नौ बजे गाडी से मंच तक पहुंचे। भीड अधिक होने पर वे 10 मिनट तक मंच के पास खडे रहे, भीड को हटाकर उन्हें गाडी से नीचे उतारा गया, वे मंच पर पहुंचे, उन्होंने कहा कि सबको नमस्कार और प्यार, यह सुनते ही भीड ने उन्हें घेर लिया और हाथ मिलाने लगे, वंदेमारतम वंदेमातरम गूंजने लगा। वे बोलना चाहते थे, लेकिन हंगामा और नारेबाजी के बीच उनकी आवाज दब गई। वे मंच से नीचे उतरे और गाडी में बैठकर दिल्ली लौट गए। केंद्रीय मंत्री डॉ राम शंकर कठेरिया ने भीड को समझाने के लिए कहा कि मिल्खा सिंह कुछ देर में वापस आएंगे।
मेडल के लिए टेबल पलटी, हंगामा
प्रतिभागियों को दौड पूरी करने पर कार्ड दिया गया, इससे उन्हें स्टेडियम के हॉकी ग्राउंड में मेडल, सार्टििफकेट को लंच पैक दिया जाना था। कुछ ही देर में कार्ड समाप्त हो गए। इस पर प्रतिभागियों ने हंगामा किया। टेबल पलट दी। उनके घर पर सार्टििफकेट पहुंचाने का आश्वासन देकर शांत किया गया।
मीडिया से बोले उडन सिख कोई ले आए ओलंपिक पद
मिल्खा सिंह ने कहा कि उनकी अंतिम सांस से पहले कोई ओलंपिक पदक ले आए, उन्हें 56 साल बाद भी यह कशक परेशान कर रही है।
इस साल होने जा रहे रियो ओलंपिक से भारतीय एथलीटों से मेडल की उम्मीद नहीं है, इसके लिए चार से आठ साल अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत है। एथलीट मेहनत करते हैं तो 2024 के ओलंपिक में पदक जीत सकते हैं।
मिल्खा सिंह