First test tube baby Louise 39th birthday celebration: 9000 test tube baby at Rainbow IVF Centre in Agra
आगरालीक्स …आगरा में जन्मा पहला टेस्ट टयूब बेबी 19 साल का है, दुनिया का पहला टेस्ट टयूब बेबी आज ही के दिन हुआ था, आगरा में 15 हजार टेस्ट टयूब बेबी जन्म ले चुके हैं।दुनिया में 50 लाख टेस्ट टयूब बेबी हैं और भारत में पांच से छह लाख टेस्ट टयूब बेबी हैं, रेनवो आईवीएफ सेंटर में पहले टेस्ट टयूब बेबी के जन्म पर इम्ब्रोलॉजिस्ट डे मनाया।
25 जुलाई 1978 को ग्रेट ब्रिटेन में लेज़्ली ब्राउन ने दुनिया के पहले टेस्ट ट्यूब बेबी को जन्म दिया था। आज उनका 39 वां जन्मदिन हैं। आगरा के रेनबो हॉस्पिटल आईवीएफ सेंटर की जयदीप मल्होत्रा, डॉ नरेंद्र मल्होत्रा व डॉ केशव मल्होत्रा बताते हैं कि उनके सेंटर में पहला टेस्ट टयूब बेबी एक अगस्त 1998 को हुआ था, अभी तक उनके सेंटर में करीब नौ हजार टेस्ट टयूब बेबी जन्म ले चुके हैं। विदेशी दंपती के भी आईवीएफ सेंटर में टेस्ट टयूब बेबी हुए हैं, इस क्षेत्र में तेजी से बदलाव हुए हैं और ताजनगरी टेस्ट टयूब बेबी के लिए बडा सेंटर बन चुका है
मंगलवार को रेनबो हॉस्पीटल में उस खास दिन को केक काटकर सेलीब्रेट किया गया, जिसने माता-पिता बनने की खुशी से वंचित रहने वाले दम्पतियों के सूने आंगन में किलकारी की खुशी दी। विश्व एम्ब्रियोलॉजिस्ट डे के मौके पर रेनबो ईवीएफ सेंटर के सभी डक्टरों ने मिलकर केक काटा और फोन कर टेस्ट ट्यूब विधि से पैदा होने वाले बच्चों को बधाई दी।
डॉ. नरेन्द्र मल्होत्रा ने बताया कि 25 जुलाई 1978 को डॉक्टर रॉबर्ट जी एडवर्ड्स के टेक्नोलॉजी से दुनिया के पहले टेस्ट ट्यूब बेबी लुइज़ जॉय ब्राउन का जन्म हुआ था, उन्हें नोबल प्राइज से सम्मानित किया गया था। कुछ दिन बाद ही उनकी मौत हो गई। दुनिया में 50 लाख टेस्ट टयूब बेबी हैं और भारत में पांच लाख से अधिक टेस्ट टयूब बेबी जन्म ले चुके हैं। पहले टेस्ट टयूब बेबी के 39 वें जन्मदिन पर रेनबो आईवीएफ सेंटर में मंगलवार को एम्ब्रोलॉजिस्ट डे मनाया गया। मल्होत्रा नर्सिंग होम व रेनबो हॉस्पीटल में अब तक लगभग 5 हजार टेस्ट ट्यूब बेबी जन्म ले चुके हैं। डॉ जयदीप मल्होत्रा ने बताया कि एम्ब्रोलॉजिस्ट वे साइंटिस्ट होते हैं जो गैमेस्ट ( स्पर्म और एग ) पर लैब में काम करते हैं और आईवीएफ व इक्सी से इम्ब्रो तैयार करते हैं, इन्हें दो से पांच दिन में महिला के गर्भ में ट्रांसफर कर दिया जाता है। सेंटर में केक काटने के साथ ही रेनबो हॉस्पिटल आईवीएफ सेंटर और उनसे जुडे 14 पार्टनर ने एम्ब्रोलॉजिस्ट (बेबी मेकर्स) को बधाई दी। इस मौके पर डॉ. आरसी मिश्रा, डॉ. केशव मल्होत्रा, डॉ. ऋषभ बोरा, डॉ. निहारिका मल्होत्रा, डॉ. मनप्रीत, डॉ. दीक्षा, डॉ. राजीव लोचन शर्मा आदि मौजूद थे।
पहली टेस्ट टयूब बेबी बन चुकी है मां
25 जुलाई 1978 को ग्रेट ब्रिटेन में लेज़्ली ब्राउन ने दुनिया के पहले टेस्ट ट्यूब बेबी को जन्म दिया था। इस बेबी का नाम है लुइज़ जॉय ब्राउन। इनके पिता का नाम है जॉन ब्राउन। इनके माता-पिता के विवाह के नौ साल बाद तक संतान नहीं होने पर उन्होंने डॉक्टरों से सम्पर्क किया। डॉक्टर रॉबर्ट जी एडवर्ड्स कई साल से ऐसी तकनीक विकसित करने के प्रयास में थे, जिसे इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन कहा जाता है। डॉक्टर एडवर्ड्स को बाद में चिकित्सा विज्ञान का नोबेल पुरस्कार भी दिया गया। टेस्ट ट्यूब बेबी लुइज़ 39 वर्ष की हैं और वे एक बच्चे की माँ हैं। उनके बेटे का नाम केमरन है, जिसकी उम्र पाँच साल है। लुइज़ का विवाह सन 2004 में वेस्ली मलिंडर से हुआ था। और 20 दिसम्बर 2006 को केमरन का जन्म सामान्य तरीके से हुआ।
टेस्ट टयूब में निषेचित और गर्भ में पलता है शिशु
इस तकनीक में महिला के अंडाशय से अंडे को निकालकर उसका संपर्क द्रव माध्यम में शुक्राणुओं से कराया जाता है.महिला को हार्मोन सम्बंधी इंजेक्शन दिए जाते हैं ताकि उसके शरीर में अधिक अंडे बनने लगें. इसके बाद अंडाणुओं को अंडकोष से निकाला जाता है और नियंत्रित वातावरण में महिला के पति के शुक्राणु से उन्हें निषेचित कराया जाता है. इसके बाद निषेचित अंडाणु को दो से पांच दिन बाद महिला के गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है. नौ महीने तक गर्भ में ही शिशु पलता है।