Agra’s Dr Niharika Malhotra work on Pre Term Delivery appreciated in conference
आगरालीक्स… आगरा की युवा स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ निहारिका मल्होत्रा द्वारा समय पूर्व प्रसव के क्षेऋ में किए जा रहे कार्यों के लिए सराहा जा रहा है। फॉग्सी की ज्वाइंट सैक्रेटरी और आईवीएफ विशेषज्ञ डा. निहारिका मल्होत्रा का कहना है कि मां बनना प्रकृति का सबसे बड़ा वरदान माना जाता है। लेकिन अपने देश में आज भी यह कुछ महिलाओं के लिए मौत की सजा से कम नहीं है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में हर साल जन्म देते समय तकरीबन 45000 महिलाएं प्रसव के दौरान अपनी जान गंवा देती हैं। देश में जन्म देते समय प्रति 100000 महिलाओं में से 167 महिलाएं मौत के मुंह में चली जाती हैं। ग्रामीण अंचल में हालात अधिक खराब हैं, क्योंकि यहां प्रसूताओं को समय पर इलाज और सुविधाएं नहीं मिल पातीं। इसे रोकना होगा।
आगरा कीं डा. निहारिका मल्होत्रा समय पूर्व प्रसव रोकने के लिए काफी काम कर रही हैं। उनके इन्हीं प्रयासों को देखते हुए यवतमल, महाराष्ट्र के लोहारा स्थित आईएमए भवन में सात से आठ मार्च तक यवतमल आॅब्स एंड गायनी सोसाइटी की ओर से आयोजित ‘यॉग्सकॉन-4’ में उन्हें बतौर विशिष्ट अतिथि आमंत्रित किया गया था। मुख्य वक्ता के रूप में प्री-टर्म डिलीवरी पर बोलते हुए डा. निहारिका ने कहा कि महिलाएं किसी भी समाज की मजबूत स्तंभ होती हैं। जब हम महिलाओं और बच्चों की समग्र देखभाल करेंगे तभी देश का समग्र विकास संभव है। एक गर्भवती महिला के निधन से न केवल बच्चों से मां का आंचल छिनता है बल्कि पूरा परिवार ही बिखर जाता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की उचित देखभाल और प्रसव संबंधी जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से फॉग्सी देश भर में इस साल ऐसी योजनाएं लांच कर रही है, जो मील का पत्थर साबित होंगी और इस दिशा में बदलाव लाएंगी। फॉग्सी द्वारा हाल ही में लांच की गईं ‘अदभुत मातृत्व’, ‘अक्षया जीवन’, समर्थ और ‘हैल्थ-ई-इंडिया’ कुछ ऐसी ही योजनाएं हैं। सम्मेलन में आगरा के डॉ ऋषभ बोरा ने एनोमली स्कैन पर व्याख्यान दिया।
क्या हैं मुश्किलें?
– अशिक्षा
– जानकारी की कमी
– समुचित स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव
– कुपोषण
– कच्ची उम्र में विवाह
– बिना तैयारी के गर्भधारण
ये सब क्यों है जोखिम भरा, जानलेवा?
1- ज्यादातर मातृ मृत्यु की वजह बच्चे को जन्म देते वक्त अत्यधिक रक्त स्त्राव के कारण होती हैं।
2- इसके अलावा इन्फेक्शन, असुरक्षित गर्भपात या ब्लड प्रेशर भी अहम वजहें हैं।
3- प्रसव के दौरान लगभग 30 प्रतिशत महिलाओं को आपात सहायता की आवश्यकता होती है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में उन्हें नहीं मिल पातीं।
4- गर्भावस्था से जुड़ी दिक्कतों के बारे में सही जानकारी न होने तथा समय पर मेडिकल सुविधाओं के न मिल पाने या फिर बिना डॉक्टर की मदद के प्रसव करराने के कारण भी मौतें होती हैं।
5- जच्चा-बच्चा की सेहत को लेकर आशा कार्यकर्ताओं का अहम रोल होता है, लेकिन इनकी कमी से कई महिलाएं प्रसवपूर्व न्यूनतम स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित रह जाती हैं।
6- समस्त मातृ मौतों में से लगभग 10 प्रतिशत मौतें गर्भपात से संबंधित जटिलताओं के चलते होती हैं।
7- ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टॉफ की कमी भी इन मौतों की मुख्य वजह है।
क्या कर रही फॉग्सी….?
बतौर फॉग्सी की संयुक्त सचिव डा. निहारिका एम बोरा ने बताया कि छह जनवरी 1950 को मद्रास (अब चेन्नई) में गठित हुई फॉग्सी अपनी 223 से अधिक सदस्य शाखाओं और 35000 से अधिक व्यक्तिगत सदस्यों को साथ लेकर देश की महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य सुधार कार्यक्रम निरंतर चला रही है। फॉग्सी मुख्य रूप से स्त्री एवं प्रसूति रोगों से बचाव और उनके समुचित इलाज के लिए काम करती है। इसके अतिरिक्त फॉग्सी स्त्री रोग विशेषज्ञों के ज्ञानवर्धन एवं शोध कार्यों में सहयोग के साथ उनकी समस्याओंं का निराकरण भी करती है। वर्ष 2004 में फॉग्सी ने वंदेमातरम योजना के तहत हर महीने की नवीं ताारीख को सभी निजी चिकित्सकीय संस्थानों पर शिशु के जन्म से पूर्व सुरक्षा पर निशुल्क सेवाएं देना आरंभ किया था। यह सेवाएं आज भी तमाम चिकित्सकों द्वारा अपने अस्पतालों में निशुल्क दी जा रही हैं। इतना ही नहीं डा. जयदीप मल्होत्रा के नेतृत्व में फॉग्सी ने इस वर्ष महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर के खतरे से बचाने के लिए ‘अक्षया जीवन’, गर्भकाल के दौरान शिशु में स्वास्थ्य और संस्कारों को सृजन करने के लिए ‘अदभुत मातृत्व’, पैरामेडिकल स्टॉफ को दक्ष बनाने के लिए ‘समर्थ’ और मेडिकल दस्तावेजोें को सुरक्षित बनाने के लिए दो ‘हैल्थ ई इंडिया’ और ‘डॉकआॅन’ नाम से अपने सभी सदस्यों और मरीजों के लिए एप लांच किए हैं। इन सभी योजनाओं को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान, डिजिटल इंडिया अभियान आदि से जोड़ते हुए देश भर में इन्हें जन-जन तक पहुंचाने के प्रयास जारी हैं। इसके लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा जी से मुलाकात के साथ ही माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को भी पत्र लिखा गया है।