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Agra temperature crosses 45 celsius mark in Agra
आगरालीक्स …आगरा में पारा 45 डिग्री को क्रॉस कर चुका है, शनिवार की सुबह तेज धूप से हुई है, नौ बजे तक तापमान 40 डिग्री, 10 बजे तक 43, 11 बजे तक 44 और एक बजे तक तापमान 45 डिग्री को पार कर जाएगा। न्यूनतम तापमान भी 32 डिग्री से अधिक दर्ज किया गया है। भीषण गर्मी और तेज धूप से लोग बेहाल हैं, लोग घर और कार्यालय में कैद हो गए हैं। सुबह से ही सडकों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। मौसम विभाग का अनुमान है कि आने वाले सात दिनों में गर्मी से राहत मिलने की उम्मीद नहीं है, तापमान 45 डिग्री से आगे निकल सकता है।
इंटरनेट फोटो
राजस्थान की ओर से आ रहे लू के थपेड़ों के चलते आगरा में जहां सबसे ज्यादा 45.6 डिग्री सेल्सियस पारा दर्ज किया गया। इसके बाद झांसी में 44.7 और बांदा में 43.8 डिग्री सेल्सियस तापमान रहा। शुक्रवार को सुबह 11 बजे के बाद पारा 44 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया, जो शाम तक बना रहा। एक तो लू के थपेड़े, उस पर बिजली की कटौती ने लोगों को बेहाल कर दिया।
सुबह से ही गर्मी का सितम शुरू हो गया। दोपहर में तो सड़क पर मानो अंगारे बरस रहे हों।
मौसम विभाग के पूर्वानुमान केंद्र के मुताबिक, अगले दो दिनों में तापमान में एक से दो डिग्री सेल्सियस का इजाफा और हो सकता है।
वेस्टर्न डिस्टरबेंस से जहां मौसम बदल रहा है। वहीं, प्रशांत महासागर में पिछले साल उठे अल निनो के प्रभाव से इस बार तापमान एक से दो डिग्री बढ सकता है। इसके लिए मौसम विभाग ने एडवाइजरी जारी की है। प्रत्येक पांच दिन में अगले 15 दिनों के लिए मौसम विभाग द्वारा चेतावनी जारी की जाएगी।
क्या है अल नीनो
अल-नीनो एक गर्म जलधारा है। यह एक ऐसी मौसमी परिस्थिति है जो प्रशांत महासागर के पूर्वी भाग यानी दक्षिणी अमरीका के तटीय भागों में महासागर के सतह पर पानी का तापमान बढ़ने की वजह से पैदा होती है. इसकी वजह से मौसम का सामान्य चक्र गड़बड़ा जाता है और बाढ़ और सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाएँ आती हैं.
अल नीनो जलवायु तंत्र की एक ऐसी बड़ी घटना है जो मूल रूप से भूमध्यरेखा के आसपास प्रशांत– क्षेत्र में घटती है किंतु पृथ्वी के सभी जलवायवीय चक्र इससे प्रभावित है। समुद्री जलसतह के ताप–वितरण में अंतर तथा सागर तल के ऊपर से बहनेवाली हवाओं के बीच अंर्तक्रिया का परिणाम ही अलनीनो तथा अलनीना है। पृथ्वी के भूमध्यक्षेत्र में सूर्य की गर्मी साल भर पड़ती है इसलिए इस भाग में हवाएँ गर्म होकर ऊपर की ओर उठती है। इससे उत्पन्न खाली स्थान को भरने के लिए उपोष्ण क्षेत्र से ठंडी हवाएँ आगे आती है किंतु ‘कोरिएलिस प्रभाव’ के चलते दक्षिणी गोलार्ध की हवाएँ बाँयी ओर और उत्तरी गोलार्ध की हवाएँ दाँयी ओर मुड़ जाती है। प्रशांत महासागर के पूर्वी तथा पश्चिमी भाग के जल–सतह पर तापमान में अंतर होने से उपोष्ण भाग से आनेवाली हवाएँ, पूर्व से पश्चिम की ओर विरल वायुदाब क्षेत्र की ओर बढती है। सतत रूप से बहनेवाली इन हवाओं को ‘व्यापारिक पवन’ कहा जाता है। व्यापारिक पवनों के दबाव के चलते ही पेरू तट की तुलना में इन्डोनेशियाई क्षेत्र में समुद्र तल 0।5 मीटर तक ऊँचा उठ जाता है। समुद्र के विभिन्न हिस्सों में जल–सतह के तापमान में अंतर के चलते समुद्र तल पर से बहनेवाली हवाओं प्रभावित होती है किंतु समुद्र तल पर से बहनेवाली व्यापारिक पवनें भी सागर तल के ताप वितरण को बदलती रहती है।