Agra College official Principal controversy, A group of teachers protest
आगरालीक्स …आगरा कॉलेज में नए प्राचार्य को लेकर विवाद खडा हो गया है। पूर्व प्राचार्य डॉ मनोज रावत के साथ शिक्षकों की तू तू मैं मैं हो गई, शिक्षकों ने नए प्राचार्य डॉ एके गुप्ता को प्रिंसिपल की कुर्सी पर न बैठने की हिदायत दी, तीखी तकरार के बाद माहौल गर्मा गया। आगरा कॉलेज के नए प्राचार्य पर प्रबंध समिति को निर्णय लेना है, प्रबंध समिति के अध्यक्ष कमिश्नर चंद्रकांत हैं, वे गुरुवार को शहर में नहीं थे।
शुक्रवार को इसे लेकर और विवाद हो सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने आगरा कॉलेज सहित प्रदेश के 156 प्राचार्यों की नियुक्ति रद कर दी थी, इसके बाद से प्राचार्य डॉ मनोज रावत को हटाए जाने के लिए कॉलेज के शिक्षकों का एक गुट मांग कर रहा था। इसे लेकर कई बार कमिश्नर और डीएम से भी शिकायत की गई थी। बुधवार को उच्च शिक्षा निदेशक ने प्राचार्य को हटाने और वरिष्ठ शिक्षक को प्राचार्य बनाए जाने के आदेश जारी किए, इसके बाद प्राचार्य कार्यालय में डॉ एके गुप्ता को बुलाकर चार्ज दे दिया गया। इस पर विवाद खडा न हो जाए, इसके लिए अन्य शिक्षकों को इसकी जानकारी नहीं दी गई।
प्राचार्य कार्यालय पर ताला
सुबह जानकारी होने पर प्राचार्य पद के दावेदार डॉ नरेंद्र अपने शिक्षक साथियों के साथ कॉलेज पहुंच गए और प्राचार्य कार्यालय पर ताला लगाकर चाबी ले ली, कुछ देर बाद नए प्राचार्य डॉ एके गुप्ता को लेकर पूर्व प्राचार्य डॉ मनोज रावत आ गए, इसके बाद शिक्षकों के बीच विवाद हो गया, एक दूसरे को खरी खरी सुनाई।
59 साल डॉ एके गुप्ता, केमिस्ट्री विभाग से चौथे प्राचार्य
डॉ एके गुप्ता 59 साल के हैं और बी 36 न्यू आगरा में रहते हैं, उनके पिता लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता भी आगरा कॉलेज में रहे हैं। डॉ एके गुप्ता ने बीएससी, एमएससी और पीएचडी आगरा कॉलेज से की है। इसके बाद 1981 से आगरा कॉलेज में पढा रहे हैं, 1987 से कमीशन से आगरा कॉलेज में उनकी स्थायी नियुक्ति हुई। डॉ एके गुप्ता से पहले आगरा कॉलेज में केमिस्ट्री विभाग के डॉ एसएन श्रीवास्तव, डॉ मुख्यातर सिंह, डॉ मनोज रावत और अब डॉ एके गुप्ता प्राचार्य बने हैं।
प्राचार्य पद के लिए होने लगी थी गुटबाजी
आगरा कॉलेज में प्राचार्य पद के लिए गुटबाजी हो रही थी, शिक्षकों का एक गुट डॉ एके गुप्ता को प्राचार्य बनाना चाहता था। जबकि दूसरे गुट की तरफ से डॉ नरेंद्र यादव प्राचार्य के लिए दावेदारी कर रहे थे। इसे लेकर शिक्षक आमने सामने आ रहे थे।इसके चलते डॉ एके गुप्ता को शाम को गुपचुप तरीके से प्राचार्य पद का चार्ज दिया गया, जिससे शिक्षकों का दूसरा गुट इसका विरोध ना कर सके।